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कर्नाटक में खड़गे के ट्रस्ट को जमीन देने पर विवाद: बीजेपी बोली- घोटाला हुआ, CBI जांच हो; सिद्धारमैया बोले- नियम के तहत जमीन एलॉट

 

कर्नाटक में खड़गे के ट्रस्ट को जमीन देने पर विवाद: बीजेपी बोली- घोटाला हुआ, CBI जांच हो; सिद्धारमैया बोले- नियम के तहत जमीन एलॉट

कर्नाटक की राजनीति में एक नया विवाद उठ खड़ा हुआ है, जिसमें बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि उसने खड़गे परिवार के ट्रस्ट को जमीन आवंटित करने में पक्षपात किया है। इस विवाद ने न केवल राजनीतिक तापमान को बढ़ा दिया है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि क्या इस आवंटन में कोई अनियमितता हुई है।

विवाद की पृष्ठभूमि

बीजेपी के नेताओं ने आरोप लगाया है कि सिद्धार्थ विहार शिक्षा ट्रस्ट, जो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र राहुल खड़गे द्वारा संचालित है, को कर्नाटका औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (KIADB) द्वारा 5 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। यह जमीन हाइटेक डिफेंस एयरोस्पेस पार्क में स्थित है, और बीजेपी का कहना है कि यह आवंटन नियमों का उल्लंघन है। बीजेपी नेता लाहर सिंह सिरोया ने इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठाए हैं कि क्या यह "शक्ति का दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों का टकराव" नहीं है।

कांग्रेस का बचाव

इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए, कर्नाटक के उद्योग मंत्री एम.बी. पाटिल ने स्पष्ट किया कि यह आवंटन पूरी तरह से नियमों के अनुसार किया गया है और इसमें कोई विशेष छूट या नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यह जमीन शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है, न कि औद्योगिक या वाणिज्यिक उपयोग के लिए। प्रियंक खड़गे, जो कर्नाटक के आईटी/बीटी और ग्रामीण विकास मंत्री हैं, ने भी इस बात पर जोर दिया कि ट्रस्ट का उद्देश्य एक मल्टी-स्किल डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करना है।

राजनीतिक तनाव

इस विवाद ने कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। बीजेपी ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है और खड़गे परिवार के सदस्यों से इस्तीफे की भी मांग की है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि बीजेपी ने भी अपने समय में ऐसे ही आवंटन किए थे।

निष्कर्ष

कर्नाटक में खड़गे के ट्रस्ट को जमीन आवंटन का यह विवाद न केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का एक हिस्सा है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि कैसे राजनीतिक संबंध और प्रशासनिक निर्णय अक्सर एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। इस मामले में आगे की कार्रवाई और जांच का परिणाम देखना दिलचस्प होगा, क्योंकि यह कर्नाटक की राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है।इस विवाद के बीच, यह महत्वपूर्ण है कि हम तथ्यों को समझें और राजनीतिक बयानों के पीछे की सच्चाई को जानने का प्रयास करें। कर्नाटक की राजनीति में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, और इसके परिणाम आने वाले चुनावों में भी दिख सकते हैं।

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